हम में से
कई लोग ऐसे
हैं जिन्हें अपने
बचपन से ही
एक प्रशिक्षण दिया
जाता है कि
पढ़ लिख जाओ
ताकि अच्छी सी
नौकरी प्राप्त कर
सको . हम अपने
स्कोल्स में पढ़ने
जाते हैं लेकिन
अफसोस हमें यह
नहीं बताया जाता
कि हम जो
पढ़ रहे हैं
हमारे जीवन में
हस्तक्षेप है और
वह ज्ञान जो
हम कर रहे
हैं वह हमारे
जीवन को कैसे
बदल सकता है
. यह प्रामाणिक रूप
में तय है
कि ज्ञान केवल
पैसा कमाने के
लिए प्राप्त हो
वह मनुष्य कभी
भी लाभ नहीं
पहुंचा सकता . बल्कि हर
व्यक्ति को ज्ञान
केवल इसलिए करना
चाहिए ताकि इस
ज्ञान से अपनी
और दूसरे लोगों
के जीवन को
बदलने में मदद
. जैसे बिल गेट्स
( माइक्रोसॉफ्ट के मालिक)
, स्टीव जाबज़ ( एप्पल कंपनी
सी . ई . ओ
) , मार्क ज़करबरग ( फेसबुक के
मालिक) , सुसज्जित ब्राउन ( दुनिया
के पांच बड़े
स्पीकर से एक
) आदि आज की
दुनिया में अद्वितीय
नाम हैं .
समकालीन में अपने
जीवन को बदलने
के लिए मल्टी
लेवल मार्केटिंग एक
रोजगार का मंच
है जो कई
जीवन पूरी तरह
बदल दिया . मल्टी
लेवल मार्केटिंग कंपनियों
में आदमी अपने
मूल योग्यता का
मूल्यांकन होता है
. लेकिन हम आज
तक इस तरह
नहीं ले सके
क्योंकि हमने ऐसा
होते हुए बहुत
कम देखा . अगर
देखा भी तो
कुछ छोटी कंपनियों
को जो दो
तीन साल में
खत्म हो जाती
हैं . और यह
मान लेते हैं
कि सभी मल्टी
लेवल कंपनियों ऐसी
ही होती हैं
. लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल
अलग है . हम
समझते हैं कि
सफल जीवन केवल
वही लोग गुजार
रहे हैं जो
मासिक वेतन ले
रहे हैं . उन्हें
इस बात का
अंदाजा ही नहीं
होता कि वे
वास्तव में अपने
मालिकों अमीर बनाने
के लिए काम
कर रहे हैं
. जब उनसे पूछा
जाए कि जीवन
कैसे गुज़रेगी . क्या
आप अपने जीवन
में क्रांति लाने
की कोई योजना
मौजूद है . तो
वह निश्चित रूप
से आप " नहीं
" में जवाब देंगे
. क्योंकि वे अपने
आसपास लोगों को
ऐसा करते देखा
.
एक बार उल्लेख
किया है . वैज्ञानिकों
के एक समूह
ने पांच बंदरों
को एक पिंजरे
में बंद . इस
पिंजरे में उन्होंने
एक सीढ़ी और
उसके ऊपर कुछ
केले भी रखे
. जब कोई बंदर
सीढ़ी पर चढ़ना
शुरू करता तो
वैज्ञानिक नीचे खड़े
हुए बंदरों पर
ठंडा पानी बरसा
शुरू कर देते
. इस घटना के
बाद जब भी
कोई बंदर कीलों
की लालच में
ऊपर जाने की
कोशिश करता तो
नीचे खड़ा बंदर
उसको सीढ़ी चढ़ाई
न देते और
फिर उसे पीटना
शुरू कर देते
. कीलों के लालच
के बावजूद यह
सब कुछ देखने
और करने के
बाद कोई भी
बंदर सीढ़ी पर
चढ़ने की हिम्मत
नहीं करता . वैज्ञानिकों
ने फैसला किया
कि उनमें से
एक बंदर को
बदल दिया - पहली
बात नवागंतुक बंदर
की वह सीढ़ी
पर चढ़ना था
. लेकिन तुरंत ही इसे
दूसरे बंदरों ने
मारना शुरू कर
दिया - कई बार
पिटने के बाद
नए आने वाले
बंदर हमेशा के
लिए तय कर
लिया कि वह
सीढ़ी पर चढ़े
होगा यहां तक
कि उसे पता
नहीं था कि
आखिर वह ऐसा
क्यों कर रहा
है ? वैज्ञानिकों ने
एक बंदर बदला
और उसका भी
यही हश्र हुआ
- और मज़े की
बात यह थी
कि इससे पहले
बदलने वाला बंदर
भी उसे मारने
वालों में शामिल
था . इसके बाद
तीसरे बंदर बदल
गया और उसका
भी यही हश्र
हुआ . यहां तक
कि सारे पुराने
बंदर एक कर
बदले गए और
सबके साथ यही
व्यवहार होता रहा
अब पिंजरे में
केवल नए बंदर
रह गए जिन
पर कभी वैज्ञानिकों
ठंडा पानी नहीं
बरसा लेकिन फिर
भी वह सीढ़ी
पर चढ़ने वाले
बंदर पिटाई करते
. अगर यह संभव
होता है कि
बंदरों से पूछा
जाए कि तुम
सीढ़ी पर चढ़ने
वाले हर बंदर
क्यों मारते हो
बेशक वह जवाब
देते कि हमें
नहीं मालूम . हमने
तो सब ऐसे
ही करते देखा
है
ऊपर वर्णित कहानी से
हमें यह सबक
मिलता है . हम
अपने आप से
सवाल करें कि
हम अपने जीवन
क्यों ऐसे गुजार
रहे हैं जैसा
कि वह गुजर
रही है ? हम
क्यों करने लग
जाते हैं कि
दूसरों करते हुए
देखते हैं ? क्या
हमारे पास जीने
के लिए कोई
रणनीति नहीं है
? हम क्यों अपने
जीवन का फैसला
उन के कहने
पर करते हैं
जो न तो
हमारे जीवन को
बदल सकते हैं
और न ही
हमें मुश्किल स्थिति
से निकाल सकते
हैं . क्या कारण
है कि हम
भीड़ चाल का
शिकार हो जाते
हैं और किसी
प्रक्रिया या न
करने की केवल
यह तर्क देते
हैं कि सभी
ऐसा कर रहे
हैं हम ऐसा
कर लिया तो
क्या हो गया
?
आपका भविष्य आपके अपने
हाथ में है
. हमें अपने जीवन
को अपने लिए
ऐसा करना चाहिए
कि बहुत सारे
लोगों के जीवन
में क्रांति आ
सके. अपने लिए
तो कोई भी
जी सकता है
मज़ा तो तब
है जब आप
दूसरों को भी
अपने साथ अच्छी
जिंदगी जीने का
सबब बन सकें
.
अपनी दुनिया आप पैदा
कर अगर ज़नदों
है
सिर आदिम है
, विवेक किन फकाँ
है जीवन
Gaganjeet Singh
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